यह नैनो कणों से निर्मित यूरिया का एक प्रकार है, जिसमें पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने वाला तरल नाइट्रोजन होता है। नैनो यूरिया, सामान्य यूरिया की अपेक्षा 50% तक कम उपयोग में लिया जाता है, नैनो यूरिया की आधा लीटर की एक बोतल में लगभग 40,000 मिलीग्राम/लीटर नाइट्रोजन होता है, जो सामान्यता एक बोरी यूरिया के बराबर होता है।
नैनों यूरिया के क्षेत्र में सरकार द्वारा की गयी पहल :
Table of Contents
पिछले एक-दो सालों से सरकार रसायन उर्वरकों के स्थान पर नैनो उर्वरकों के उपयोग पर विशेष बल दे रही है, इसके लिए सरकार किसानों को उनकी कुल लागत से 9 गुना सस्ती किमत पर नैनो यूरिया देने का मन बना चुकी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य रसायन और उर्वरक मंत्री मंसुद मांडवा ने बेंगलुरू में राजकीय कृषि और बागवानी मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन राज्यों से नैनो उर्वरकों को लोकप्रिय बनाने की अपील की है।
मंत्री ने कहा है कि किसानों को जो यूरिया का बैग ₹266 की लागत से दिया जाता है, उसकी वास्तविक लागत 2300 रुपये पड़ती है, इसके एक तरफ सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ता है तो दूसरी और किसानों को घाटा भी उठाना पड़ता है, उन्होंने कहा भारत की उर्वरक क्षमता पूरे विश्व की कुल खपत की 35% है और भारत प्रतिवर्ष 70 लाख से 100 लाख टन उर्वरक का आयात दूसरे देशों से करता है।
भारत सरकार यूरिया उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए नैनों उर्वरकों को स्वदेशी रूप से विकसित करने पर विशेष जोर दे रही है। नैनो उर्वरकों के एक बोतल की किमत लगभग ₹240 आती है, इससे सरकार पर आर्थिक दबाव कम हो जायेगा, इसके लिए सरकार साल 2025 तक देश में नौ नैनो उर्वरक संयत्र स्थापित करने पर काम कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की यात्रा के दौरान कलोल में देश के पहले लिक्विड नैनो यूरिया संयंत्र का आधिकारिक उद्घाटन किया है।
लिक्विड नैनो यूरिया के बारे में जानकारी :
यह नैनो कण के रूप में यूरिया का एक रूप है, यूरिया एक रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरक है, जिसका रंग सफेद होता है यह कृत्रिम रूप से नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो पौधों के लिए एक प्रमुख पोषक तत्व है।
यह पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करते हैं वाला एक पोषक तत्व है- इसे पारंपरिक यूरिया को बदलने के लिए विकसित किया गया है और यह इसकी आवश्यकता को 50 परसेंट तक कम कर सकता है।
लिक्विड नैनो यूरिया काम कैसे करता है ?
लिक्विड नैनो यूरिया को सीधे पत्तियों पर छिड़का जाता है, जिससे पौधों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है यह पत्तियों के एपिडर्मिस पर पाए जाने वाले रंध्र एवं छिद्रों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। नैनो रूप में उर्वरक फसलों को पोषक तत्वों की लक्षित आपूर्ति प्रदान करते हैं।
नैनो यूरिया की 2 से 4 मिली मात्रा को 1 लीटर पानी में मिलाकर फसल के पत्तों पर छिड़काव किया जाता है, इस यूरिया की शेल्फ लाइफ 1 साल होती है, नैनो नाइट्रोजन कण का आकार 20 से 50 नैनोमीटर से भिन्न होता है, गौरतलब है कि एक नैनोमीटर 1 मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर होता है।
क्या होते हैं नैनो कण ?
नैनो कण ऐसे कणों को कहा जाता है जिनका आकार 1 से 100 नैनोमीटर होता है और इन दोनों को इनके विशेष गुणों के कारण रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा, इलेक्ट्रॉनिक तथा अन्य प्रौद्योगिकी व विज्ञान की शाखाओं में प्रयोग किया जाता है।
इनके उपयोग से फायदे क्या होंगे ?
शोधकर्ता बताते हैं कि पारंपरिक यूरिया की क्षमता लगभग 25 परसेंट होती है जबकि नैनो यूरिया की क्षमता लगभग 85% से अधिक हो सकती है, यह पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है। यह पूर्णतः स्वदेशी है इसलिए इसका आत्मनिर्भर भारत बनने में बड़ा सहयोग होगा, इससे रासायनिक खादों के उपयोग पर नियंत्रण लगेगा।
यह सभी फसलों के लिए फायदेमंद है, भारत सरकार द्वारा उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी कट जाएगी इसके उपयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी, जलवायु एवं मृदा प्रदूषण में कमी आने के साथ मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
क्या नैनो कणों के साइड इफेक्ट भी होते हैं ?
लाभ के अलावा देखा जाए तो नैनो कण हमारी कोशिकाओं पर विपरीत असर भी डालते हैं, लंदन में प्रकाशित नैनोटॉक्सिकोलॉजी पत्रिका के एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि नैनो कण जब सिल्वर और कैडमियम आयनों के कॉकटेल के संपर्क में आते हैं, तो हमारी 72% कोशिकाएं मर जाती है।
अन्य पढ़े:-International UPI क्या है ?